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गणपतराज चौधरी

  • Anup Bhandari
  • Apr 18
  • 5 min read

मेहनत और हिम्मत से सजाया जिंदगी का आसमान

कस्तुरी मृग की नाभि में होती है। लेकिन सुगंध हर तरफ बिखरती है। उसी प्रकार अच्छे व्यक्तियों की अच्छाई और अच्छे काम उन्हें परोपकार से जोडती है। गणपत चौधरी कई संस्थाओं से जुडक़र समाज की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।


जीवन जीना एक कला है और यह कला जिसे आ गई उसने तो मानो जीवन के मर्म को ही समझ लिया। उसे फिर जीवन में कोई भी नही हरा सकता है फिर चाहे वो व्यक्ति हो या फिर परिस्थितियां। और यही वजह है कि ऐसे लोग तटस्थ होकर जीवन के सभी रंगों को समान रूप से जीते हैं और खुश रहते हैं। ऐसे ही लोगों में गणपतराज लालचंदजी चौधरी का नाम शामिल है जो कि जीवन को जीने में यकीन रखते है फिर चाहे कैसी भी स्थिति हो अपने यकीन को डगमगाने नहीं देते हैं। जीवन के प्रति उनकी सकारात्मकता ही उन्हें सदैव कर्मपथ पर अग्रसर रहने की प्रेरणा देती है।



राजस्थान के बाड़मेर के सिवाणा में पिता लालचंदजी चौधरी और माता मथरादेवी चौधरी के घर 23 मार्च 1963 को गणपत चौधरी का जन्म हुआ। जहां माताजी से संस्कार मिले वहीं पिता से जीवन के सकारात्क सोच मिली। पूत के पांव पालने में ही नजर आते हैं, वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए गणपत चौधरी में बचपन से ही आगे बढने और कुछ अलग करने की चाह थी। अपने माता और पिता से मिली सीख पर चलते हुए हर परिस्थिति में केवल जीत हासिल करनी है, ये तय कर लिया। सब कुछ इतना आसान भी नहीं था। कडी मेहनत और लगन को अपना हथियार बनाया और कर्मभूमि में उतर गए। बस साथ था तो मन में सफलता का विश्वास और इसी विश्वास के सहारे आगे बढने लगे।


मद्रास विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक होने के बाद सोचा कि पढाई तो अब पूरी हो चुकी है अब उसे अमल में उसके बाद जीवन में लाना बाकी है बस फिर क्या था। लग गए अपने जीवन को दिशा देने में और इसके लिए हर प्रकार की मेहनत करने लगे। अपनी दूरदर्शिता के दम पर ही दो कंपनी रिद्धि सिद्धि ग्लूको बायोल लिमिटेड एवं श्रीराम न्यूजप्रिंट लिमिटेड की शुरूआत की और आज वो दोनो ही कंपनियों के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। साल 1983 में व्यापार की शुरूआत की और 35 सालों के अथक प्रयास और मेहनत से कंपनी को सफलता की उचांईयां प्रदान की। वर्तमान में ग्लूको बॉयल 30 देशों में अपना निर्यात कर रहा है और उसकी सफलता और काम को देखते हुए स्टार्च बनाने वाली विश्व की तीसरे नंबर की कंपनी रॉकेट फ्रेरेस जो कि फ्रांस की है, ने रिद्धि सिद्धि ग्लूको बायोल में 14.9 प्रतिशत का निवेश किया। आज ग्लूको बायोल के पास लगभग 500 से ज्यादा ग्राहक हैं जिसमें देश और विदेश की कई बडी कंपनियां शामिल हैं। गणपत चौधरी के नेतृत्व में साल 2012 -2013 में रिद्धि सिद्धि ग्लूको बायोल लिमिटेड ने 1300 करोड का टर्नओवर किया जिसके बाद में कंपनी सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली कंपनी बन गई। वर्तमान में गणपत चौधरी इसके अलावा स्टार्च, पेपर, रिन्यूएबल एनर्जी, इनवेस्टमेंट, ट्रेडिंग और रियल स्टेट के कारोबार से जुडे हुए हैं।




कहते हैं हर सफल आदमी के पीछे एक महिला का हाथ का होता है और गणपत चौधरी के इस सफलता के पीछे उनकी धर्मपत्नी श्रीमती राजुलदेवी चौधरी का हाथ रहा है। जो हर वक्त अपने पति के साथ खडी रही फिर चाहे वक्त अनुकूल हो या फिर प्रतिकूल। उन्होंने घर को सम्हाला बच्चों को अच्छी परवरिश दी और साथ ही परिवार एवं दूसरे रिश्तों को भी सम्हाला जिसमें गणपत चौधरी को पूरा सहयोग रहा। दोनो ने मिलकर एक दूसरे का साथ दिया और जीवन को गति दी। समय बीता पुत्र सिद्धार्थ चौधरी, पुत्रवधू श्रीमती कविता सिद्धार्थ चौधरी, बेटियां सिद्धि नयन शाह और रिद्धि अंकित लोढा का साथ मिला और ऐसा लगा जैसे मानो ईश्वर ने जीवन की सारी खुशियां दे दी।


जीवन की सम्पूर्णता इसे सम्पूर्ण तरीके से जीने में है और इसके लिए आवश्यक है जीवन के सभी रंगों को आत्मसात करते हुए आगे बढने की। गणपत चौधरी ने भी जीवन में इसे ही मंत्र बनाया वैसे इनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपनी हर भूमिका भलीभांति निभानी चाहिए और उसमें सफल होने का प्रामाणिक प्रयत्न ही उनके जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। आज आप अपने परिवार के वात्सल्यमूर्त मुखिया तो हैं ही साथ ही अपने भाई बहनो एवं उनके परिवार के लिए मार्गदर्शन का स्त्रोत भी हैं। जीवन के हर उतार चढाव में अपनो को साथ लेकर आगे बढने की कला गणपत चौधरी से सीखने लायक है। अपने परिवार की तरह इन्होंने अपने व्यापार और साथ काम करने वालों को भी परिवार की तरह ही प्यार और विश्वास दिया परिणामस्वरूप व्यापार में भी खूब तरक्की की और आज अनेकों प्रकार के व्यापार से जुडे हुए हैं। क्योंकि आप मानते हैं कि व्यक्ति को अपना हर दिन कल से बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। सामाजिक एवं धार्मिक कार्यो में बढचढकर हिस्सा लेते हैं और तन, मन एवं धन हर प्रकार से विकास में अपना योगदान भी देते हैं।




जिस प्रकार कस्तुरी मृग की नाभि में होती है लेकिन उसकी सुगंध हर तरफ बिखरती है उसी प्रकार अच्छे व्यक्तियों की अच्छाई और अच्छे काम उन्हें लोगों से और फिर परोपकार से जोडती है। इसी तरह से गणपत चौधरी की अच्छाईयों ने उन्हें ना केवल ख्याति दिलाई बल्कि समाज की भलाई के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं से जुडक़र समाज की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। वे श्रमण आरोग्यम, जीतो अपेक्स का वैयावच्च केंद्रित उपक्रम के चेअरमैन का कार्यभार सम्हालने के साथ राजस्थान सेवासमिति अहमदाबाद के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही आप ट्रस्टी, युवा अनस्टॉपेबल और जीतो मैनेजिंग एवं मैनेजमेंट प्रोग्राम, मैनेजिंग कमिटी व अहमदाबाद मैनेजमेंट असोसिएशन के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य, और गुजरात चेम्बर ऑफ कामर्स और इंडस्ट्री के सदस्य, लायंस क्लब ऑफ अहमदाबाद कर्णावती के अध्यक्ष रह चुके हैं। इस सबके साथ ही गणपत चौधरी को सम्मान एवं अवार्ड भी खूब सारे मिले। तात्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम आजाद के हाथों सम्मानित किया गया। और लायंस क्लब ऑफ कर्णावती के विशिष्ट अध्यक्ष भी घोषित किए गए।




इन सभी पक्षों को समान रूप से जीने वाले गणपत चौधरी के जीवन के सभी पहलू एक समान महत्वपूर्ण होते हैं और गया वक्त फिर वापस नहीं आता है इसलिए सभी पहलुओं पर बराबर ध्यान देना चाहिए। इनका कहना है कि जीवन को साहस के साथ जीना चाहिए। साथ ही वर्तमान स्थिति को समझते हुए भविष्य के निर्णय लेना चाहिए। जहां तक इनकी खुद की बात है तो बता दें कि इनका परिवार, टीम और डेस्टिनी सभी मिलकर मुझे सफल बनाते हैं। और ये तीनो अगर सही मायने में आपके साथ हों तो सफलता निश्चित ही मिलती है। समाज के बिना व्यक्ति अस्तित्वहीन है। समाज का निर्माण हम सभी लोगों से है इसलिए उसके सहयोग या साथ के बिना कुछ भी संभव नहीं है इसलिए हम जितना परिवार के लिए करते हैं उतना ही ध्यान समाज का भी रखना चाहिए और उसकी बेहतरी के लिए जितना संभव हो कार्य करना चाहिए।


जीवन की भागदौड और जिम्मेदारियों के बीच शौक ही जो जीवन को वापस तरोताजा कर देते हैं और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण देते है। इसलिए हर दिन वो जीवन की व्यस्तता से अपने लिए कुछ समय अवश्य निकाल लेते हैं जो कि नितांत उनका होता है। संगीत, ध्यान और धर्म के लिए भी समय निकाल लेते हैं। गणपत चौधरी का मानना है कि सामाजिक कार्य, धार्मिक कार्य और कारोबार हमेशा करते रहना चाहिए। गणपत चौधरी का उद्देश्य जीवन को सम्पूर्ण तरीके से जीना है। हर व्यक्ति जीवन में कुछ ना कुछ सीखाता है। हमें सदैव विद्यार्थी बने रहना चाहिए। जीवन में धर्म बहुत महत्वपूर्ण रहता है। गणपत चौधरी का कहना है कि  जैन धर्म में मेरी निष्ठा है और गुरू भगवंत से प्रेरणा लेते रहना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।


शताब्दी गौरव के बारें गणपत चौधरी का कहना है कि शताब्दी गौरव सच में कामयाबी की सीढियां चढ चुका है और अव्वल नंबर का अखबार बन चुका है मुझ यकीन है कि आने वाले समय में इसकी चमक और सुनहरी हो जाएगी।



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