


बाबा गांव

वीर प्रसूता राजस्थान प्रांत के पाली जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.१४ पर सांडेराव से वाया कोशेलाव होकर १४ कि.मी. लापोद से १० कि.मी. और फालना रेलवे स्टेशन से १७ कि.मी. दूर खारी नदी से दोनों तरफ घिरा हुआ एक छोटा सा गांव है 'बाबा गांव’।
गांव के दोनों तरफ से यह खारी नदी के बीच टापू जैसा प्रतीत होता है। इस प्राचीन नगर में बाजार के पास और नदी के नजदीक शिखरद्ध जिनप्रासाद में अति प्राचीन संप्रति राजा कालीन, श्वेतवर्णी, १७ इंची, पद्मासनस्थ, तीसरे तीर्थंकर असंभव को भी संभव कर देने वाले मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु की अत्यंत मनमोहक प्रतिमा के साथ बायीं तरफ श्री नेमिनाथजी तथा दायीं तरफ श्री आदिनाथजी प्रतिष्ठित है। भमती में प्राचीन, सुंदर व कलात्मक पट्टों से शोभित रंगमंडप की शोभा न्यारी है।
एक देहरी में जगतगुरू, अकबर प्रतिबोधक, गोड़वाड़ के नारलाई नगर में सं. १६०७-१६०८ में पंन्यास व उपाध्याय पद से अलंकृत पू. आ. श्री हीरसूरिजी के 'चरण-युगल’ वीर नि. सं. २४६१, शाके १८५६, वि.सं. १९९१, माघ शुक्ल १३, फरवरी १९३५ को पं. राजविजयजी द्वारा प्रतिष्ठित हैं। एक प्रतिमा पर सं. १९१५, वैशाख वदि मो दूसरी ए· प्रतिमा पर सं. १९५०, फाल्गुन वदि ५ के लेख उत्कीर्ण है।
'जैन तीर्थ सर्वसंग्रह’ ग्रंथ के अनुसार, श्री संघ ने बाजार में शिखरबद्ध जिनालय का निर्माण करवाकर विक्रम सं. १८०० के लगभग मूलनायक श्री संभवनाथ स्वामी सह पाषाण की ६ और धातु की ४ प्रतिमाएं स्थापित करवाई। पूर्व में यहां १४० जैन, दो उपाश्रय और एक धर्मशाला थी। 'मेरी गोडवाड यात्रा’ पुस्तक के अनुसार, गांव के एक जैन मंदिर में ७० वर्ष पूर्व मूलनायक श्री संभवनाथ स्वामी जिनमंदिर, दो धर्मशाला, पोरवालों के ३० व ओसवालों के १२ घर विद्यमान थे। वर्तमान में कुल २५ घर और १२० के करीब जैनों की जनसंख्या है।
श्री संभवनाथ स्वामी जैन मंदिर : दो घुड़सवारों से रक्षित व शोभित मंगल प्रवेशद्वार, उत्तुंग शिखर पर लहराती ध्वजा, गर्भगृह में प्रतिष्ठित संप्रतिकालीन मूलनायक, ३०० वर्षों का इतिहास संजोये जिनालय का जीर्णोद्धार पश्चात वी.नि.सं. २४६१, शाके १८५६, वि.सं. १९९१ के माघ शुक्ल १३, फरवरी १९३५ को शासक प्रभावक पू. आ.श्री नीतिसूरीश्वरजी पू. पंन्यास श्री मंगलविजयजी गणीवर्य आ.ठा. के करकमलो से चतुर्विध संघ के साथ महामहोत्सव पूर्वक हर्षोल्लास से प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। प्रतिवर्ष ध्वजा माघ सु. १३ को श्री रतनचंदजी कपूरचंदजी व सरदारमलजी शेषमलजी परिवार (मद्रास) चढाते है।
दीक्षा : श्री ताराचंदजी दलीचंदजी की सुपुत्री ने बाबा गांव से दीक्षा लेकर गांव व कुल का नाम जिनशासन में उज्जवल किया। सांसारिक नाम को त्याग आपश्री 'सा. श्री. सीमंधर प्रिया श्री जी’ नाम से प्रसिद्ध हुई।
बाबा गांव : गांव पंचायत बसंत के तहत स्थित बाबा गांव की कुल जनसंख्या ३५०० के करीब है। ९वीं कक्षा तक स्कूल, वैद्यकीय सुविधा, जवाईबांध से सिंचाई, दूरसंचार आदि सुविधाओं से युक्त इस गांव में अन्य ७ मंदिर भी है। मार्गदर्शन : फालना स्टेशन से २६ कि.मी. नेशनल हाईवे क्र.१४ पर सांडेराव से वाया कोशेलाव १४ कि.मी. तथा कोशेलाव बस स्टैंड से ४ कि.मी. दूर स्थित 'बाबा गांव’ हेतु प्रायवेट बस, टैक्सी और ऑटों की सुविधा प्राप्त होती है। सुविधाएं : यहां दो धर्मशालाएं है। संघ हेतु विशाल न्याति नोहरा है। वर्तमान में भोजनशाला की सुविधा नहीं है।