सादगी, सरलता और विनम्रता की मिसाल है चम्पालाल वर्धन
- Anup Bhandari
- Apr 17
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किसी ने ठीक कहा है कि सादगी जीवन का सबसे बड़ा आभूषण है और सरलता जीवन की वो धारा जो हमे जीवन के सबसे ऊंचे मुकाम पर ले जाती है। लेकिन जिस व्यक्ति के जीवन में सादगी और सरलता के साथ विनम्रता का वास भी हो तब तो फिर उस व्यक्ति को जीवन में वो हर मान, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, अपने आप हासिल हो जाते हैं, जिसके लिए समाज के बड़े बड़े लोग तरसते रहते हैं। भीनमाल निवासी चंपालाल वर्धन ऐसी ही शख्सियत हैं, जिनकी विनम्रता के किस्से लोग बयां करते करते थक जाते हैं। जिनकी सरलता और सादगी की मिसाल और कहीं आसानी से नहीं मिलती। चंपालाल वर्धन अपने इन्हीं तीन गुणों की वजह से पहचाने जाते हैं। वरना, लक्ष्मी तो मुंबई शहर ही नहीं देश भर में और भी हजारों लोगो के पास है, लेकिन वर्धन जितना मान, सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए उनको तरसते देखा जा सकता है। मान, सम्मान और प्रतिष्ठा का यह खजाना उन्हें मिला है उनके पिता किशोरचंद्र वर्धन की व्यावहारिक विरासत से, जिसे चंपालाल वर्धन अपनी मेहनत, परिश्रम और ईमानदार प्रय़ासों से लगातार द्विगुणित करते जा रहे हैं। सही मायऩों में कहा जाए, तो मुंबई ही नहीं देश भर के जैन समाज तो क्या किसी भी अन्य समाज में भी चंपालाल वर्धन जैसा साधारण सा दिखनेवाला गजब प्रतिभाशाली व्यक्तित्व कोई और मिलना न केवल मुश्किल बल्कि अत्यंत असंभव है। जैन समाज के चमकदार गिने जानेवाले लोगों में चंपालाल वर्धन को सबसे जमकदार व्यक्तित्व वाले लोगों में सबसे आगे गिना जा सकता है। क्योंकि अपने शिखर पर गिने जानेवाले कार्यो और बहुत ही सादगी भरी जीवनशैली से वे पूर समाज को रोशन कर रहे है। हर असंभव कार्य को वे सबसे पहले करने में विश्वास रखते हैं। उनका मानना है कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है और वो खुद भी ऐसा ही करते हैं। उनकी यही तासीर उनको दूसरों से कुछ अलग मानने को मजबूर करती है। यही कारण है कि समस्या आने से पहले ही चम्पालाल वर्धन के पास उसका समाधान भी आ जाता है। उनकी सफलता का सूत्र वाक्य स्वयं के उपर भरोसा और सही दिशा में कडी मेहनत है। असंभव को संभव करने का नाम ही चम्पालाल वर्धन है। मुंबई के रियल इस्टेट सेक्टर में जब राजस्थानी समाज के लोगों ने शुरूआती दौर पर आना शुरू किया था, उनमें अग्रणी किशोरचंद्र वर्धन के ज्येष्ठ पुत्र चंपालाल वर्धन मुंबई के जाने माने रियल स्टेट डवलपर तो हैं ही, जैन समाज के सबसे प्रसिद्ध समाजसेवी चम्पालाल वर्धन का जन्म 1 अप्रेल 1956 में राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल में हुआ था। उनके पिता किशोरचंद्र वर्धन और माता शांतीबेन वर्धन ने बचपन से ही उन्हें नेक, अच्छा और सच्चा इंसान बनने के संस्कार दिए और वो हमेशा अपने माता-पिता के दिखाए रास्ते पर ही चलते रहें हैं। भाई उम्मेदराज वर्धन और स्वर्गीय भरत वर्धन के साथ भीनमाल में अपनों के बीच बचपन बीता, जिसकी यादें आज भी उन्हें भावविभोर कर देती हैं। कुछ सालों के बाद परिवार भीनमाल से मुंबई आ गया और फिर तब से सभी मुंबई के हो गए और मुंबई को इस प्रकार अपने अंतर्मन में बसा लिया कि मुंबई ही भले ही उनकी पहचान बन गई। लेकिन राजस्थान उनके दिल में बसता है। सेवा को कोई भी कार्य हो, वर्धन परिवार भीनमाल के बारे में सबसे पहले सोचता है। सबके लिए घर का सपना साकार करने की तमन्ना रखनेवाले चम्पालाल के जीवन में उनकी पत्नी उर्मिला वर्धन का आगमन भगवान महावीर का आर्शिवाद बनकर आया। एक आदर्श पत्नी की तरह उर्मिला वर्धन ने जीवन के हर उतार चढाव में सहयोग दिया साथ ही परिवार को पूरी तरह से जोडकर रखा। अपने माता-पिता के दिए संस्कारों को अपने जीवन का आदर्श मानने वाले पुत्र कुणाल, करण और बेटी नीलम और नेहा भी अपने माता-पिता की तरह बहुत ही संवेदनशील और दूसरों की तकलीफों को महसूस करने वाले हैं। दोनो बेटे कुणाल और करण अपने पिता चंपालाल वर्धन के व्यापार में न केवल उनका सहयोग देते हैं बल्कि व्यापार को बढाने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं। श्री वर्धन की बहन श्रीमती अंजु गुलाटी अपने ससुराल में अपना दायित्व निभा रही है।


प्राथमिक शिक्षा राजस्थान के भीनमाल से प्राप्त करने के बाद मुंबई के मारवाडी विद्यालय से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की और फिर मुंबई के ही लाला लाजपतराय कॉलेज से ग्रेजुएशन और फिर केसी कॉलेज से वकालत की डिग्री प्राप्त की। पढाई समाप्त करने के बाद अपने पिता किशोरचंद्र वर्धन के साथ अपने करियर की शुरूआत की। और साल 1980 में नीलम रियल्टी के नाम से स्वयं का भवन निर्माण का व्यापार शुरू किया जिसे जल्द ही अपनी मेहनत से उन्होंने नई उचाईयां प्रदान की। वे नीलम रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। जिन्होंने वर्ली में एट्रीया मॉल, दादर में स्टार मॉल और साकीनाका में सोलारिस का निर्माण करके भवन निर्माण के क्षेत्र में अपनी बुलंदियों का अहसास कराया। इसके अलावा नीलम नगर मुलुंड पूर्व, वर्धमान नगर मुलुंड पश्चिम, घाटकोपर और नाहुर आदि स्थानों पर अपना शानदार प्रोजेक्ट जैसी अनेकों टाउनशिप प्रोजेक्ट उनकी कंपनी के नाम दर्ज हैं। वर्धन ने अपनी सूझबूझ से व्यापार में सफलता हासिल की, वहीं इन्होंने सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी जमकर हिस्सा लिया और बहुत सारी संस्थाओं जैसे भारत जैन महामंडल, ऑल इंडिय़ा श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंस, जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन, सिरोही जालौर प्रवासी संघ और भीनमाल जैन संघ आदि में जिम्मेदार पदों पर रहते हुए उनका मार्गदर्शन भी किया। वर्धन जब भारत जैन महामंडल के प्रेसिडेंट थे तब उन्होंने महावीर जन्म कल्याणक के दिन जैन समुदाय की एक महारैली नरिमन पाइंट से लेकर चैपाटी तक निकाली थी, जो अपने आप में एक इतिहास था। मुंबई में इससे पहले जैन समाज की इतनी बड़ी शक्ति का प्रदर्शन पहले कभी नहीं हुआ। इस महा रैली में 24000 जैनियों ने भाग लेकर इसे जबरदस्त सफल बनाया था। इसके साथ ही पालीताणा, घाटकोपर, मुलुंड, नाहुर और ताडदेव आदि स्थानों पर इन्होंनें मंदिरों के निर्माण करवाये है। सेवा के कार्य करने में चम्पालाल वर्धन यहीं नहीं रूके बल्कि वो महावीर मेमोरियल ट्रस्ट दिल्ली के कार्यकारणी सदस्य होने के साथ आदिनाथ राजेंद्र जैन ट्रस्ट ताडदेव, श्रीमती शांतीबाई के वर्धन घाटकोपर जैन मंदिर ट्रस्टी व एसएमजे तीर्थरक्षा ट्रस्ट आदि के ट्रस्टी भी हैं। चम्पालाल वर्धन ऐसे समाजसेवी हैं जिनके कार्यों को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है, क्योंकि कई लाचार और जरूरतमंदों की मदद तो वो बिना किसी को बताए ही कर देते हैं। सभी लोग सुखी और प्रसन्न हों, हमेशा उनका यही प्रयास रहता है। इसलिए जब भी प्राकृतिक आपदा या फिर देश में कहीं कोई समस्या आती है तो वो सदैव मदद हेतु तत्पर रहते हैं। महाराष्ट्र और अन्य स्थानों पर आई भयंकर बाढ हो या राजस्थान का अकाल, वर्धन हर बार तकलीफ में फंसे लोगों की मदद करने में अग्रणी रहे हैं। चम्पालाल वर्धन जैन समाज के कुछ ऐसे लोगों में शामिल हैं जिनके सभी राजनीतिक पार्टियों में बड़े बड़े नेताओं से बेहतर संबंध है। एक तरफ शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से घरेलू संबंध हैं तो दूसरी तरफ भाजपा के वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश माथुर से भी इनके पारिवारिक रिश्ते हैं। वर्धन परिवार ने शंखेश्वर तीर्थ, मोहनखेडा और पालीताणा में धर्मशाला का निर्माण कराया साथ ही मुंबई में उपाश्रय और वेलफेयर सेंटर का निर्माण करवाया है। चम्पालाल वर्धन आल इंडिया जैन श्वेतांबर कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ अखिल भारतीय सौधर्मवृत्त तपोगच्छीय त्रिस्तुतिक जैन संघ के संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जैन समाज की अन्र्तराष्ट्रीय संस्था जैन इन्टरनेशनल ट्रेड आर्गेनाईजेशन (जीतो) के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं एवं वर्तमान में जीतो के एडवाईजर हैं। भारत जैन महामंडल द्वारा समाज रत्न की उपाधि प्रदान की गई है। श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर पेढी, मोहनखेडा द्वारा मोहन खेडा गौरव और जैन पत्रकार संघ द्वारा समाज रत्न और साल 2012 में आट्रीया मॉल के निर्माण के लिए बेस्ट मॉल अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। वर्धन मानते हैं कि समाज में गतिशील रहने के लिए सकारात्मक सोच के समाचार पत्रों की सक्त जरूरत है, क्योंकि संपर्क, संबंध और समाज तीनों आपस में बहुत गहरे जुड़े हुए हैं और इनको जोड़े रहने में समाचार पत्रों की बहुत बड़ी भूमिका है। वर्धन कहते हैं कि शताब्दी गौरव यह भूमिका राजस्थानी समाज के बीच बहुत महत्वपूर्ण तरीके से निभा रहा है। समाज के हर सकारात्मक कार्य में सफल बनाने में समाचार पत्र भी बड़ा सहयोग करते हैं। वे कहते हैं कि शताब्दी गौरव पूरे जैन समाज का गौरव है, क्योंकि समाज के प्रत्येक कार्य में शताब्दी गौरव बहुत ही सलीके से सकारात्मक भूमिका निभानेवाले समाचार पत्रों में गिना जाता है। उनका मानना हैं कि अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन सच्चा इंसान वही होता है, जो दूसरों के लिए जीता है। जो निस्वार्थ भाव से हमेशा समाज और देश की भलाई के लिए अपने पूरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय लगा दे, उसी का मान, सम्मान, पद और प्रतिष्ठा हासिल होते हैं। चम्पालाल वर्धन ने यह सब शुरू से ही किया है, इसीलिए समाज के सर्वोच्च शिखर पर अगली पंक्ति में बिराजमान लोगों के बीच उनको भी स्थान हासिल है।
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