top of page
Gemini_Generated_Image_7vi4uv7vi4uv7vi4_edited.jpg

राकेश मेहताजिंदगी को जीतकर बने सफल विजेता

  • Writer: vibhachandawat1977
    vibhachandawat1977
  • Sep 28
  • 6 min read

किसी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि हम चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, कितनी भी मेहनत कर लें, जिंदगी हमें आखिरकार उसी रास्ते पर ले जाती है, जिसके लिए हमको लगता है कि हम तो उस रास्ते पर चलने के लिए बने ही नहीं थे। पर जिंदगी तो जिंदगी है, वह थकती नहीं है, रुकती नहीं हैं। इसलिए अगर हम ठान लें, और मजबूती से डटे रहें, तो कई बार जिंदगी भी खुद हमारे रास्ते पर हमारे साथ चल पड़ती है। क्योंकि ऊपरवाले ने जिंदगी को जो समझ बख्शी है, वह हमारी जिंदगी की मुश्किलें, मुकाम और मंजिल सब जानती है। राकेश मेहता की जिंदगी का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही है। जिंदगी बनाने के लिए पढ़ाई तो उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की की थी। लेकिन बने देश के पूंजी बाजार में शिखर पर बैठे वित्त विशेषज्ञ। चाहते तो अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट होने को रोजी रोटी का साधन बनाते हुए टैक्स की फाइलें सुलझाते रहते। लेकिन कहते हैं कि जिंदगी को जीतने के लिए सिर्फ हौंसले और जोश ही काफी नहीं होते। सोच, समझ और सूझबूझ का होना भी जरुरी है। अपने इन्हीं गुणों से मेहता ने कुछ अलग करने की ठानी, तो देखिए आज वे कहां से कहां पहुंच गए हैं। दरअसल, जो लोग जिंदगी को सिर्फ दो जून रोटी के सुख और कुछ छोटे मोटे साधन जुटाने की सीमाओं में बांध लेते हैं, वे कभी सफलता के शिखर पर सजे तख्त पर बैठे राकेश मेहता की तरह हो ही नहीं सकते।

आज राकेश मेहता को देश भर में पूंजी बाजार की बहुत बड़ी हस्ती के रूप में जाना जाता है। उनका मेहता ग्रुप भारतीय पूंजी बाजार में एक लब्ध प्रतिष्ठित कंपनी मानी जाती है, जो वित्तीय सेवा प्रदाताओं में देश की एक प्रमुख कंपनी है। मेहता ग्रुप को अपने ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर मूल्यवर्धक सेवाएं प्रदान करके रिश्तों को सहेजने की उल्लेखनीय क्षमता के लिए जाना जाता है। मेहता इक्विटीज लिमिटेड, मेहता कॉमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड और मेहता केपिटल मेनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड मूल रूप से निवेश बैंकिंग, कमोडिटीज और मुद्रा बाजार, डिपॉजिटरी और विभिन्न वित्तीय व इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के क्षेत्र में है, जिनमें मेहता ग्रुप को महारथ हासिल हैं। पूंजी बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में 70000 से अधिक ग्राहकों के साथ देश भर में 80 से अधिक स्थानों पर अपनी प्रभावशाली उपस्थिति स्थापित करने में मेहता ग्रुप सफल रहा है। राकेश मेहता बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड की विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे है और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की पूंजी बाजार और निवेशकों की सुरक्षा के लिए बनी समिति के सदस्य भी समय समय पर रहे है। वे कई वर्षों तक देश के शीर्ष संस्थागत घरेलू ब्रोकर भी रहे हैं। डब्ल्यूआइआरसी की बैंकिंग, निवेश और वित्त संबंधी समिति के सदस्य भी रहे है, तथा इंडियन मर्चेंट्स चेंबर्स, एसोचैम, फिक्की, सीआइआइ, एआइएआइ और आइबीजी के सदस्य भी। फिलहाल वे पूंजी बाजार में इक्विटी ब्रोकिंग, डेरिवेटिव्स, मुद्रा और बॉन्ड उत्पादों जैसी सेवाओं के विस्तार के लिए वन स्टॉप ऑपर्च्युनिटी पर निगाह गड़ाए हुए हैं। निवेश बैंकिंग सेवाओं के जरिए निजी इक्विटी फंड और डेब्ट सिंडिकेशन प्रदान करके वित्तपोषण समाधान की दिशा में भी उनकी कंपनी काम कर रही है। वे कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए ऋ ण सुविधा मुहैया कराते हैं और उनकी कंस्टक्शन निम्न और मध्यम-आय वर्ग के लिए घरों के निर्माण व निवेश के अवसर बना रही है।

यह तो हई राकेश मेहता के व्यावसायिक़ विकास और पूंजी बाजार में एक हस्ती के रूप में छा जाने की आज की स्थिति। लेकिन राकेश मेहता कोई जोधपुर से जैसे ही मुंबई आए और सीधे ही शिखर पर पहुंच गए, ऐसा नहीं है। वो जिसे पापड़ बेलना कहते हैं न, उससे भी ज्यादा हजार होसलों की हिम्मत व मेहनत से मेहता ने पूंजी बाजार और देश के वित्तीय पटल पर यह मुकाम पाया है। शुरूआती तौर पर कई तरह की मुश्किलों से पार पाकर उन्होंने अपने जीवन में जो मुकाम पाया, उसके बारे में उनका कहना है कि हर अवसर पर हर हाल में वे सकारात्मक रहे और जीवन को व्यापक संदर्भों में बहुत बड़े नजरिये से देखते रहे। मेहता कहते हैं कि हिम्मत हमारे भीतर ही होती है, वह कोई बाहर से नहीं आती, सो चाहे कोई भी परिस्थिति आ जाए, हमें हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए। जीवन में कभी न थकनेवाले, कभी न रुकनेवाले और कभी भी हार न माननेवाले राकेश मेहता जोधपुर शहर में 9 अगस्त 1964 को जन्मे और जोधपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम करने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट भी बने। पिता गोविंदचंद मेहता और माता चंचल कुमारी मेहता को इतना तो अंदेशा जरूर था कि समझ संभालते ही उनका बेटा जिंदगी में बहुत आगे जाएगा। लेकिन जोधपुर और मारवाड़ का ही नहीं बल्कि समूचे राजस्थान का नाम देश भर में रोशन करेगा, इसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की होगी। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली, तेजतर्रार और दूरगामी सोच के धनी थे। खेल के साथ पढऩे और घूमने के बेहद शौकीन मेहता जानते थे कि जीवन अपने आप में एक खेल है, इसलिए में जो भी करो, उसके प्रतिफल के बारे में पहले जानो। सो, उन्होंने जो कुछ भी पढ़ा, उस पढ़े हुए से मिली शिक्षा को जीवन में  व्यावहारिक रूप में उतारा। कहीं भी घूमने गए, तो वहां से बहुत कुछ जानकर, सीखकर और समझकर जीवन के विकास के नए दरवाजे खोलने में उसका उपयोग किया। मतलब साफ है कि उन्होंने अपने खेलने, पढऩे व घूमने के शौक का जमकर दोहन किया। और करे भी क्यों नहीं, आखिर जीवन के हर काम से सीखना और उसी के जरिए जीवन को संवारना ही तो असली जीवन है। मेहता के इस संवरे हुए जीवन की विकासय़ात्रा में उनकी धर्मपत्नी निधि मेहता का भी पूरा सहयोग रहा और बेटे रजत, बेटी चेष्टा व पुत्रवधु त्रिशा मेहता भी हमेशा उनके हर कदम में सहयोगी बने। राकेश मेहता के बारे में कहा जा सकता है कि सामाजिक संस्थाओं से उनके जुड़ाव इतिहास काफी लंबा है। देश भर में जैन समाज के चारों वर्ग की सबसे प्रतिष्ठित व 12१ साल पुरानी सर्वमान्य संस्था भारत जैन महामंडल के अध्यक्ष पद पर पहुंचना उनकी सबसे ताजा उपलब्धि हैं। लेकिन इससे पहले वे 2008 से 2011 तक वे महामंडल के महामंत्री रहे और उसके बाद से अध्यक्ष बनने तक लगातार उपाध्यक्ष पद पर भी रहे। इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश मेहता सन 2011 से ऑल इंडिया वैश्य फेडरेशन के उपाध्यक्ष और मुंबई प्रदेश वैश्य फेडरेशन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। मुंबई में जोधपुर वासियों की संस्था जोधपुर एसोसिएशन में भी वे शुरू से ही सक्रिय रहे और सलाहकार से लेकर कमिटची मेंबर और महामंत्री बनने के अलावा 2009 से 2011 तक वे इसके अध्यक्ष भी रहे। प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई करनेवाले छात्रों के लिए संचालित मुंबई के कांदिवली में स्थित जोधपुर हॉस्टल के वे फाउंडर ट्रस्टी हैं। दुनिया भर में जैनों की सबसे बड़ी संस्था जैन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन (जीतो) में वे बेहद सक्रिय व सबसे प्रमुख पदाधिकारी के रूप में मुंबई जोन के जनरल सेक्रटरी, जीतो बोर्ड के सेके्रटरी जनरल, डायरेक्टर, एग्जिक्युटिव चेयरमेन, प्रेसिडेंट आदि विभिन्न पदों पर रहे। जैन युवक युवतिय़ों को सिविल सर्विसेज के लिए योग्य प्रशिक्षण हेतु स्थापित जीतो एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग फाउंडेशन के विभिन्न शहरों में छात्रावासों की स्थापना में भी मेहता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्री जैन श्वेतांबर खतरगच्छ संघ के सन 2009 से मैनेजिंग ट्रस्टी होने से पहले 2006 में वे इसके उपाध्यक्ष बने और उससे पहले 2003 में वे इसके संस्थापक महामंत्री बने। बचपन से ही, जी हां केवल 8 साल क उम्र से ही उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से गहरा जुड़ाव रहा है। सन 1981-82 में वे आरक्षण आंदोलन में अग्रणी रहे और संघ परिवार की संस्थाओं सीमा जनकल्याण समिचति एवं स्वदेशी जागरण मंच में वे दो दशक से भी ज्यादा समय तक सक्रिय रहे। सामाजिक प्रतिबद्धता के मामले में राकेश मेहता हमेशा से अग्रणी रहे हैं। करुणा का अर्थ उन्होंने बचपन में ही जान लिया था और सेवा उनके संस्कार में है। इसीलिए जोधपुर में सन 1995 में स्थापित भगवान महावीर शिक्षण संस्थान, श्रीकुशल एजुकेशन ट्रस्ट और मुंबई वैश्य सेवा संस्थान के वे संस्थापक ट्रस्टी हैं। मेहता फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी तो हैं ही, जोधपुर के नेत्रहीन शिक्षण संस्थान के संरक्षक होने के साथ- साथ एपीलेप्सी फाउंडेशन के भी वे संस्थापक ट्रस्टी हैं। सबसे पहले रिश्ते बनाना, फिर उनको सहेजना और निभाना राकेश मेहता को बखूबी आता है। वे जिन संस्थाओं से जुड़े हुए हैं, उनकी तह में देखें, तो यही सब उनकी जिंदगी की वास्तविक तस्वीर है। क्योंकि वे मानते हैं कि व्यावसायिक रूप से कोई कितना भी सफल हो जाए, लेकिन समाज से जुड़ाव नहीं है, तो उस सफलता का कोई मोल नहीं है। इसीलिए सफल लोगों की जिंदगी की सफलता से समाज को जोडऩे का जो सफलता पूर्वक काम एक सफल समाचार पत्र के रूप में शताब्दी गौरव कर रहा है, उसे वे एक शानदार प्रयास मानते है। वे बताते हैं कि इससे नई पीढ़ी को सफल लोगों की जिंदगी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वे बधाई देते हुए कहते हैं कि समाज के हर अच्छे काम को जिस प्रकार से शताब्दी गौरव प्रस्तुत करता है, वैसा कहीं अन्यत्र देखने को नहीं मिलता।

राकेश मेहता की आज की मंजिल देखकर कहा जा सकता है कि जिंदगी की दौड़ में हर तजुर्बा बहुत पक्का होना चाहिए, तभी समाज हमें स्वीकारता है। मेहता को समाज ने स्वीकारा, सिर आंखों पर बिठाया, इसीलिए अनेक सामाजिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों से होते हुए वे भारत जैन महामंडल के अध्यक्ष पद तक पहुंचे हैं। राकेश मेहता जानते हैं कि जि़ंदगी सिर्फ दो बातों से चलती है। एक, या तो आप उसे अपने काबू में कर लें या फिर खुद को उसके हवाले कर दें। लेकिन सफल वे ही होते हैं, जो जिंदगी को अपने काबू में कर लेते हैं। वस, यही सबसे महत्वपूर्ण बात सिखाती है राकेश मेहता की जिंदगी।

ree
ree
ree
ree
ree

Comments


bottom of page