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पृथ्वीराज कोठारी - यूं ही नहीं कोई बनता बुलियन किंग

  • Writer: vibhachandawat1977
    vibhachandawat1977
  • Sep 28
  • 6 min read

बड़े सपने देखने का शौक तो हर किसी को हो सकता है, लेकिन उन सपनों को पूरा करने की मेहनत, हिम्मत और कोशिश केवल वो ही कर पाते हैं, जिनकी सोच बड़ी होती है। सभी जानते हैं कि बड़ी सोच का जादू भी बड़ा होता है। लेकिन इस जादू को सफलता के साथ सहजता स्वरूप में साकार करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। क्योंकि साहस के साथ अपनी बड़ी सोच को वास्तविकता के धरातल पर अपने सबसे बड़े स्वरूप में साकार करने का मादा भी हर किसी में नहीं होता। मगर, पृथ्वीराज कोठारी में वो हर बात बचपन से ही है, जो किसी भी सफलतम इंसान को जीवन में सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंचाने में सहायक होती हैं। अगर नहीं होती, तो पृथ्वीराज कोठारी अपने जीवन के सबसे श्रेष्ठ मुकाम को ना तो यूं ही साहिल कर पाते और ना ही वे गोल्ड मार्केट में बुलंदियों की बादशाहत को छू पाते। दृढ़ता उनके जीवन का अभिन्न अंग है। जहां खड़े हैं, वहां से और आगे बढऩा उनकी फितरत है। और, जो किसी और को हासिल नहीं है, उससे भी आगे को मुकाम हासिल करने के लिए सारा जोर लगाकर वहां पहुंचना उनकी आदत का हिस्सा है। अगर यह सब नहीं होता, तो पृथ्वीराज कोठारी जीवन के जिस सबसे ऊंचे मुकाम पर आज जहां हैं, वहां नहीं होते। देश भर में गोल्ड के सबसे बड़े इंपोर्टर के रूप में पृथ्वीराज कोठारी की कंपनी रिद्धि-सिद्धि बुलियंस यानी आरएसबीएल को जाना जाता है। और शायद इसी कारण पृथ्वीराज कोठारी को बुलियन किंग के रूप में भी जाना जाता है।

राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल में अपने जमाने के अत्यंत श्रमशील और गजब की हिम्मतवाले प्रतिष्ठित व्यवसायी सरेमलजी कोठारी एवं बदामीदेवी के सबसे छोटे पुत्र पृथ्वीराज कोठारी का जन्म हुआ, तो किसी को पता नहीं था कि 1 सितम्बर 1962 को हुआ वह बालक आगे जाकर देश में गोल्ड व्यवसाय के सबसे उंचे शिखर पर स्थापित होगा। पृथ्वीराज कोठारी के बडे तीन भाई माणकचंदजी कोठारी, स्व. चंपालालजी कोठारी और भंवरलालजी कोठारी के अलावा एक छोटी बहन उषा हीरालालजी बाफना भी है। और सभी का आपस में जबरदस्त लगाव, जुड़ाव और स्नेह है। पृथ्वीराज कोठारी की पत्नी कलावंती कोठारी अपने नाम की तरह एक गुणवान महिला हैं, जिन्होंने जितनी खूबी से अपने घर और परिवार को सम्हाला, वैसे ही पति के हर कार्य और निर्णय में साथ खडी रहती हैं। पति पत्नी दोनों ही बेहद सरल हृदय के हैं, जो अपने जीवन धर्म को मानने और गुरू के दिखाए रास्ते पर चलने वाले हैं और यही संस्कार उन्होंने अपने बेटे विवेक और बहू डिंपल को भी दिए हैं।

बडे ही सुलझे हुए विचारों के साथ दृढ निश्चयी व्यक्तित्व वाले पृथ्वीराज कोठारी बुलियन इंडस्ट्री का आज एक ऐसा नाम है, जिसे हर कोई केवल नाम से ही जानता है। यह नाम, प्रतिष्ठा और व्यापार में ऊंचा मुकाम उन्होंने कडी मेहनत से बनाया है। कोठारी की सबसे बड़ी खासियत यही है कि वे कोठारी को भरोसे का दूसरा नाम भी मानते हैं। दरअसल पृथ्वीराज कोठारी का मानना है कि व्यापार का आधार ही भरोसा है। क्योंकि भरोसा ही हमें एक दूसरे से जोडता है और फिर यही श्रृंखला पूरे समाज का जोडने का काम करती है। कोठारी का समाज से भी इसीलिए जुड़ाव बहुत मजबूत है। पिछले 30 सालों से पूरा कोठारी परिवार गोल्ड व्यवसाय से जुडा हुआ है। देशभर में बुलियन की पहचान बन चुके पृथ्वीराज कोठारी की कंपनी रिद्धि-सिद्धि बुलियंस को बुलियन इंडस्ट्री में सबसे बड़ा ब्रांड माना जाता है। रिद्धी-सिद्धी बुलियन यानी आरएसबीएल लगभग अकेले ही देश की टॉप 10 अनलिस्टेड कंपनीज में अजेय रूप से खड़ी है। आज गोल्ड में आरएसबीएल सालाना सबसे ज्यादा व्यापार करने वाली कंपनी बन चुकी है।

निजी जीवन सहित समाज और व्यापार में अपनी अलग और खास पहचान बनाने वाले पृथ्वीराज कोठारी का जैन समाज में बडा ही सम्मानित नाम है। जैन समाज की जितनी भी बड़ी संस्थाएं हैं, उनमें वे सक्रिय हैं और वे हमेशा सभी की मदद के लिए तैयार देखे जा सकते हैं। लेकिन कौन गलत है और कौन सही है, इसमें वे बहुत जल्दी फर्क समझ जाते हैं। उनका मानना है कि हम सभी समाज में रहने वाले एक दूसरे से जुडे हुए हैं। यही वजह है कि एक दूसरे के काम आना हम सभी का उत्तरदायित्व है। इसलिए जब भी अवसर मिले तो हमें समाज और देश के प्रति अपने हर कर्तव्य को पूरी सच्चाई के साथ निभाना चाहिए। क्योंकि यही हमारी वास्तविक पहचान है। यही वजह है कि समय समय पर वो स्वयं भी कई सारे धार्मिक और सामाजिक आयोजन करते हैं, ताकि सभी एक दूसरे से जुडे रहें। युवाओं को ही समाज का सच्चा भविष्य मानने वाले कोठारी हमेशा युवाओं के हर कार्य में प्रेरणास्त्रोत का काम करते रहे हैं और आवश्यकता पडने पर उनके पथप्रदर्शक भी बनते हैं। वे मानते हैं कि युवाओं मं जोश होता है, और जोश के साथ सही मार्गदर्शन मिले, तो वे किसी भी काम को सहजता के साथ सफलता के मुकाम पर पहुंचा सकते हैं। हालांकि आज देश में हजारों लोग हैं, जो पृथ्वीराज कोठारी की तरह सफल होना चाहते है। लेकिन पृथ्वीराज कोठारी हर कोई नहीं बन सकता। क्योंकि उनके जैसा बनने के लिए सवा हाथ के कलेजे के साथ जी तोड़ मेहनत करने का माद्दा, समय को पहचानने की परख और असफलता को सहन करने की ताकत भी होनी चाहिए। यूं ही नहीं कोई बन जाता पृथ्वीराज कोठारी। पृथ्वीराज कोठारी बॉम्बे बुलियन असोसिएशन के अध्यक्ष हैं। इससे पहले भी वे बॉम्बे बुलियन असोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने बॉम्बे बुलियन असोसिएशन संस्था को अंर्तराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाने हेतु जबरदस्त कार्य किया और उसमें पूरी तरह से सफल भी रहे। भारत में गोल्ड ईएफटी लाने का श्रेय कोठारी को ही जाता है। सबसे पहले उन्होंने ही काउंटर बुलियन ट्रेडिंग सिस्टम आरएसबीएल स्पॉट की शुरूआत की। पृथ्वीराज कोठारी जैन समाज की अंतर्राष्ट्रीय संस्था जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जीतो) के संस्थापकों में से एक हैं। वे जीतो के डायरेक्टर भी हैं। कोठारी देश में प्रशासनिक सेवाओं में जैन समाज की युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित जैन एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। जीतो की साधुसंतो की सेवा के लिए स्थापित संस्था श्रमण आरोग्यम के ट्रस्टी भी हैं। कोठारी कहते है कि जीतो जैन समाज को परस्पर जोडने और व्यापारिक विकास के साथ वेलफेअर का काम करने वाली संस्था है। कोठारी भीनमाल वेलफेअर असोसिएशन के अध्यक्ष और मोहनखेडा तीर्थ के ट्रस्टी भी हैं। उनकी सामाजिक सेवाओं, व्यावसायिक सफलताओं और धार्मिक कार्यों के लिए उन्हें कई बार अनेक संस्थाओं ने विभिन्न सम्मान से नवाजा है। इसी कड़ी में इन्हें दो बार जैन समाज रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। पहली बार तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील और दूसरी बार महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान के हाथों उनको सम्मान मिला। कहने को भले ही पृथ्वीराज कोठारी एक व्यक्ति का नाम है, लेकिन वास्तव में वे बुलियन व्यवसाय में केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी संस्था हैं जो कि बुलियन इंडस्ट्री में क्रांति लाकर उसे और उंचाईयां प्रदान करना चाहते है। पृथ्वीराज कोठारी इंडियन बुलियन एंड ज्वेलरी असोसिएशन आइबीजेए के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा उनके सामाजिक योगदान के लिए उन्हें समाज रत्न सम्मान अवार्ड मिल चुका है। नाकोडा दर्शन धाम द्वारा दर्शन सागर अवॉर्ड से सम्मानित किया। बुलियन किंग के नाम से विख्यात पृथ्वीराज कोठारी को दशकों तक धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में सहयोग के लिए बॉम्बे बुलियन असोसिएशन के 6वें अवार्ड समारोह में भी सम्मानित किया गया। उनकी व्यावसायिक सफलताओं के लिए हाल ही में उन्हें एन इन्फ्लुएंस इंडस्ट्री अवार्ड और जीजेटीसीआई एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। 

कोठारी मानते हैं कि जीवन में वही व्यक्ति तेजी से आगे बढ़ता है, जो अपने जीवन में तेजी से अपनी क्षमता से भी ज्यादा कठोर निर्णय लेता है। वे कहते हैं कि ऐसे निर्णय ही हमें नई ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। हालांकि कभी कभी समय, हालात और माहौल के बदल जाने से परिणाम विपरीत भी हो जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हार के डर से सफल होने के निर्णय लेना ही हम छोड़ दें। कोठारी हमेशा से क्लियर विजन रखते हैं। क्योंकि उनका असमंजस की स्थिति में व्यक्ति किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता और ऐसे में कुछ अच्छे अवसर भी उसके हाथ से छूट जाते हैं। इसलिए बाद में पछताने से अच्छा है कि आप खुद पर भरोसा करें और हिम्मत करके कुछ जटिल निर्णय लेना भी सीखें। कोठारी के सफलता से भरे जीवन को देखकर लगता है कि वे अपनी बातों को पूरी तरह से जीवन में उतारकर अनुभवों के आधार पर बोल रहे हैं। पृथ्वीराज कोठारी के व्यक्तित्व की सबसे खास बात यह है कि उनसे जो भी मिलता है, वह उनके व्यक्तित्व, व्यवहार और सफलता के संसार से कुछ न कुछ ऐसा लेकर निकलता है जो उसे आगे बढऩे की प्रेरणा देता है।

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