top of page
Gemini_Generated_Image_7vi4uv7vi4uv7vi4_edited.jpg

बलवना

  • Writer: vibhachandawat1977
    vibhachandawat1977
  • Sep 27
  • 2 min read

वीरभूमि राजस्थान प्रान्त के पाली जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग क्र 14 पर स्थित एशिया की दूसरी बड़ी अनाज मंडी सुमेरपुर से 11 कि.मी. और जवाईबांध (एरणपुरा) रेलवे स्टेशन से मात्र 2 कि.मी. दूर बिसलपुर-बीजापुर जानेवाली सडक़ पर स्थित जवाईबांध की तलहटी में यहीं से निकलने वाली जवाई नदी के किनारे बसा है एक छोटा सा गाँव – 'बलवना'। यद्यपि इसकी प्राचीनता का कोई विशेष प्रमाण प्राप्त नहीं हुआ है तथापि जैन तीर्थ सर्वसंग्रह ग्रंथ के अनुसार, यहाँ पर श्री संघ द्वारा वि. सं. 1960 में शिखरबद्ध छोटे से मंदिर में मुलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु सह पाषाण की 3 व धातु की 3 प्रतिमाएं स्थापित की गयी। पहले यहाँ 50 जैनी और एक धर्मशाला थी।

गाँव के बुजुर्गो के अनुसार भी पहले यहाँ एक छोटा सा मंदिर था, जिसमे प्राचीन मुलनायक श्री धर्मनाथजी की प्रतिमा स्थापित थी और भक्त उसी की सेवा, पूजा-अर्चना करते थे। वर्तमान में यह प्रतिमा नूतन प्रतिष्ठा के समय मंदिर के पीछे भाग में स्थापित की गयी। प्राचीन मंदिर के जीर्ण-शीर्ण हो जाने पर योग्य मार्गदर्शन से श्री संघ ने आमूलचुल संपूर्ण जीर्णोद्धार का विचार करके निर्माण प्रारंभ किया। श्वेत पाषाण से निर्मित भव्य शिखरबंध एवं कलात्मक जिनमन्दिर में कपिल नगरी के राजा 13वे तीर्थंकर मुलनायक श्री विमलनाथ प्रभु की श्वेतवर्णी, 21 इंची, पद्मासनस्थ मनमोहक प्रतिमा सह श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री संभवनाथ आदि नूतन जिनबिम्बो और यक्ष-यक्षिणी प्रतिमाओ की अंजनशलाका प्रतिष्ठा करके वीर नि. सं. 2499 शाके 1894, वि. सं. 2029 के द्वि. वैशाख शुक्ल 6, गुरुवार, मई 1973 के शुभ मुहूर्त में प्रतिमाओं को गदिनाशिन किया गया। यह प्रतिष्ठा महामहोत्सव पूर्वक गोडवाड जोजावर रत्न, प्रतिष्ठा शिरोमणि आ. श्री जिनेन्द्रसुरिजी आ.ठा. की पावन निश्रा में हर्षोल्लास से संपन्न हुई थी। प्रतिवर्ष जेठ सु. 10 को श्री मोहनराजजी दलिचंदजी और सागरमलजी हजारीमलजी परिवार ध्वजा चढाते है। आ. श्री के हाथो संभवत: यह अंतिम प्रतिष्ठा महोत्सव रहा, क्योंकि इस प्रतिष्ठा के बाद वि.सं. 2029, जेठ वदी 5, मंगलवार, दि. 22 जून 1973 को स्वर्गवासी हो गए। आ. श्री पद्मसूरिजी के सदुपदेश से नवनिर्मित श्रीमती शणगारीबाई प्रेमचंदजी वोतावत जैन श्वे. भवन का उद्धघाटन वि. सं. 2052, मार्गशीर्ष वदी, 12, रविवार, दि. 19.11.1995 को संपन्न हुआ। यहाँ जैनों की कुल 50 घर (हौती) है और 200 के करीब जनसँख्या है। जवाईबांध यहाँ से मात्र 3 कि.मी. दूर है, जिसके संग्रहित जल से संपूर्ण पाली जिले की जरूरत पूरी की जाती है। प्रसिद्ध राता महावीरजी तीर्थ वाया बीजापुर 25 कि.मी. दूर है। 2 कि.मी. दूर जवाईबांध स्टेशन पर दो जिनमन्दिर, धर्मशाला, भोजन की सुविधा है। डैम पर डाक बंगला और विश्रामगृह बने है।

मार्गदर्शन : सुमेरपुर हाइवे से 11 कि.मी. और जवाईबांध रेलवे स्टेशन से 2 कि.मी. दूर स्थित बलवणा हेतु प्राइवेट बस, टैक्सी और ऑटो के साधन उपलब्ध है। सुविधाये : मंदिर के ठीक पास वोतावत जैन भवन में कुछ कमरे और हाल बने हुए है। उपाश्रय और भोजनशाला की व्यवस्था

ree
ree
ree

Recent Posts

See All
भादरलाऊ

वीर प्रसूता राजस्थान प्रांत के पाली जिले में गोड़वाड़ क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.१४ पर मंडली से वाया मेगा हाईवे क्र.६७ से वाया...

 
 
 
बांकली

पाली जिले के अंतगर्त राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. १४ पर सुमेरपुर कस्बे करीब १६ कि.मी. की दूरी पर स्थित है 'बांकली’ गांव। इसके बारे में कहा...

 
 
 

Comments


bottom of page