मुंबई। परम पूज्य आचार्य देव श्रीमद्विजय धर्मसूरी (काशीवाले) के शिष्य परम पूज्य आचार्य श्रीमद्विजय भक्तिसूरि महाराज के शिष्य परम पूज्य आचार्य श्रीमद्विजय प्रेमसुरि महाराज के गुरुबंधु एवं वडील बंधु परम पूज्य आचार्य देव श्रीमद्विजय सुबोध सुरीश्वर महाराज के विद्वान शिष्य रत्न (ष्ठशह्वड्ढद्यद्ग रू.्र. क्कद्ध.ष्ठ, ष्ठ. रुद्बह्लह्लद्ग) परम पूज्य पंन्यास प्रवर डॉ. श्री अरुण विजयजी महाराज तथा मुनिश्री हेमन्त विजयजी महाराज को चातुर्मास की विनती की, वर्तमान गच्छाधिपति परम पूज्य शान्तिचन्द्र सूरीश्वर महाराज को भी विनती पत्र भेजा। गच्छाधिपति की आज्ञा-अनुमति प्राप्त होने के बाद वीरालयम् जैन तीर्थ – पुना की पान धरती पर जय बुलाई गई। रश्मिन भाई, विपुल भाई, जगदीश भाई तथा विमलचंदजी आदि ने बड़े उत्साह के साथ जय बुलाई।
पुज्यश्री पुना से विहार करके पधारे। अषाड शुद ९, ता. ८.७.२०२२ के शुभ मुहूर्त में बडे धूमधाम से चातुर्मास प्रवेश हुआ। श्री संघ में उत्साह का वातावरण बना। प्रतिदिन प्रवचन का शुभारंभ हुआ। नमस्कार स्वाध्याय ग्रन्थाधारे नवकार मंत्र के अनेक रहस्य पूज्य श्री समजाने लगे। साथ-साथ कर्मग्रन्थ के शास्त्रानुसारी कर्म की व्याख्या आदि का वर्णन पूज्य श्री प्रवचन में करते थे।
श्री संघ में २४ तीर्थकरों की आराधना स्वरुप लोगस्य तप का शुभारम्भ हुआ। एक उपवास एक बियासणा पूर्वक आदिनाथ भगवान से महावीर स्वामी पर्यंत के २४ जिन की आराधना साधना शुरु हुई। सभी तपस्वीओं स्फटीक की माला तथा लोगस्य यंत्र भी दिया गया। लोगस्य जाप के साथ पूजन भी पढ़ाया गया। ८० आराधकों ने तपश्चर्या की। पूज्य साध्वी श्री मैत्री यशाश्रीजी महाराज प्रत्येक गुरुवार को महिलाओं की एवं प्रत्येक शनिवार को बालक-बालिकाओं की शिविर लेते है। प्रत्येक रविवार को युवा जागृति शिविर का भी आयोजन हुआ। प्रसंग आया चढावे का: मणिभद्र दादा, नाकोडा भैरव पाश्र्वनाथ, पद्मावती माता, आदि देव-देवीओं की देरी का नूतन निर्माण करने हेतु भूमिपूजन-शीलान्यास के चढावे दि. २१.८.२२ के शुभ दिन बोले गये। परम पूज्य आचार्य धर्मसूरि समुदाय के परम पूज्य आचार्य देव श्री जयशेखर सूरीश्वर महाराज माटुंगा से पधारे। तथा श्री संघ में चातुर्मास बिराजित परम पूज्य पंन्यास डॉ. श्री अरुणविजय आदि की निश्रा में भूमिपूजन – शीलान्याय का कार्यक्रम निविघ्र तया संपन्न हुआ। अनेक विघ्नों के बीच भी निविघ्रतया चामुर्मास की आराधना चल रही है। विघ्रो की जाल को तोडते हुए पर्युषण महापर्व की भी आराधना सानंद-सोल्लास-सउमंग संपन्न हुई। १४ स्वप्र के चढावे, पालनाजी के चढावे साधारण खाता के चढावे आदि में भाविको ने उल्लास पूर्वक लाभ लिया। श्री वीरालयम् जैन अहिंसा तीर्थ की जीवदया टीम में भी लोगों उत्साह भरे लाभ लेकर पुण्योपार्जन किया। इस बार पालनाजी का चढ़ावा विघ्रहर्ता बिल्डींग में निवास करनेवाले जैन परिवार ने प्राप्त किया। रातभर भक्ति करके सुबह ५.०० बजे से बिल्डींग में रहते प्रत्येक जैन परिवार के घर मे पांच, पांच मिनिट पालना बिराजमान करके भक्ति की। अविघ्न एस्टेट में अनेक महारथी बसते हैं, अत: कभी स्वप्र साकार होंगे? ऐसा स्वप्र देखने वाले जैन परिवार में सर्व प्रथमबार पालनाजी का लाभ मीला था, इसलिए विघ्रहर्ता जैन परिवार खुशी से झुम उठा था। कम से कम २५०० से ३००० पुण्यशालीओं ने विघ्रहर्ता बिल्डींग का आंगन पावन करके पालनाजी के दर्शन का लाभ उठाया।
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