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विले पार्ले जैन मंदिर मामले में न्यायालय का आदेशजैन मंदिर ट्रस्ट को राहत नहीं बीएमसी से लेनी होगी अनुमति

  • Anup Bhandari
  • May 21
  • 1 min read

मुंबई। विले पार्ले स्थित श्री 1008 दिगंबर जैन मंदिर को लेकर जारी कानूनी विवाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने ट्रस्ट की मांग को अस्वीकार करते हुए निर्देश दिया है कि वह मंदिर के ऊपर अस्थायी छत (शेड) लगाने की अनुमति के लिए बीएमसी में विधिवत आवेदन करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि मंदिर संरचना पर फिलहाल यथास्थिति का आदेश लागू रहेगा, लेकिन किसी भी अस्थायी निर्माण के लिए मंदिर ढहाने की कार्रवाई नगर निकाय की मंजूरी आवश्यक होगी। हाईकोर्ट की अवकाश पीठ न्यायमूर्ति कमल खाता और न्यायमूर्ति डॉ. आरिफ डॉक्टर ने ट्रस्ट द्वारा दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। ट्रस्ट ने प्रार्थना की थी कि शेष संरचना को मौसम और अन्य नुकसान से बचाने के लिए मंदिर के अधूरे हिस्से पर छत लगाने की अनुमति दी जाए। इससे पहले, अदालत ने मंदिर पर आगे किसी भी ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर रोक लगाते हुए 'यथास्थितिÓ बनाए रखने का आदेश दिया था। वर्तमान में ट्रस्ट ने अदालत से अनुरोध किया कि शेष ढांचे की सुरक्षा के लिए छत आवश्यक है।

मंदिर ढहाने की कार्रवाई के बाद बढ़ा विवाद

पीठ ने कहा कि बीएमसी से निर्माण की अनुमति ले सकते हैं, लेकिन कोर्ट अपनी पूर्व दी गई रोक हटाएगा नहीं। बीएमसी ने महाराष्ट्र क्षेत्रीय एवं नगर नियोजन अधिनियम (एमआरटीपी) की धारा 53 (1) और मुंबई महानगरपालिका अधिनियम की धारा 488 के तहत मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी किया था। ट्रस्ट ने सिविल कोर्ट का रुख किया, लेकिन 7 अप्रैल को अदालत ने ट्रस्ट को कोई राहत नहीं दी। इसके बाद महानगर पालिका ने संबंधित नोटिस और सिविल कोर्ट के आदेश के आधार मंदिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया, जिससे भारी विवाद खड़ा हो गया।

 
 
 

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