top of page

युवा प्रतिभा, सकारात्म सोच और सफलता की मिसाल

अनिल जैन


जिन्होंने अपने बूते पर बनाया अपना आसमान और मिली

सही समय पर सही निर्णय लेनेवाले युवा उद्यमी की पहचान


Anil Jain

प्रतिभा किसी प्रोत्साहन की मोहताज नहीं होती। वह तो फूल की तरह खिलती है। खुशबू की तरह महकती है। हवा की तरह बहती है। और खूबसूरती की तरह हर किसी को अपना दीवाना बना देती है। प्रतिभा दरअसल एक खजाना होती है, जो निखरती है अपने आप। उसे किसी की सहायता, किसी के सहयोग और किसी के भी पीछे चलने की जरूरत नहीं होती। प्रतिभा तो बरसात के उस बादल की तरह है, जो बरसती है, जो धरती को पूरी तरह से भिगो देती है। सांचौर चेन्नई निवासी युवा उद्यमी अनिल जैन की प्रतिभा भी कुछ कुछ ऐसी ही है, जिसने निखरना शुरू किया, तो न तो अनिल जैन को रुकने दिया, न थमने दिया और न ही पीछे मुडक़र देखने दिया। आज अनिल जैन जिंदगी के जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचने में केवल और केवल उनकी प्रतिभा का कमाल है। उनके जितनी उम्र में लोग सफलता के सपने देखते हैं। लेकिन यह अनिल जैन

की किस्मत का कमाल है कि आज हजारों लोग उनकी तरह से सफल होने के सपने पाल रहे हैं।   

हर मामले में बिजली से भी ज्यादा तेजी से सोचनेवाले और अंतिम लक्ष्य को साधने का निर्णय लेनेवाले अनिल जैन का जन्म चेन्नई में एक व्यवसायी परिवार में हुआ। मूल रूप से सांचोर (राजस्थान) निवासी ताराचंद जैन एवं उगमदेवी जैन के पुत्र अनिल जैन का विवाह सन 1999 मे डिंपल जैन के साथ हुआ। व्यवसायिक सफलता के सूत्र अनिल जैन अपने बेटे यश जैन को उसी तरह संस्कार में दे रहे है, जैसे उन्हें अपने माता-पिता से विरासत में मिले। एक छोटा भाई और 2 बहने हैं। भाई की शादी हो चुकी है और एक बेटा है। दोनों बहनें राजरतन और रत्नमणि का विवाह अहमदाबाद में हुआ है। पिताजी अपने बड़े भाई के साथ यहां पर आये थे। मैने व्यापार में जब कदम रखा तो मेरे पिताजी और बड़े पिताजी साथ मे व्यापार कर रहे थे, मैंने उनसे व्यापार की बारीकियां सीखी। वो हमेशा मुझे सही रास्ता दिखाते थे।


सन 2007 में उन्हें 'द टाइम्स ऑफ इंडियाÓ की ओर से सम्मान मिला और 2008 में वे केलटेक रेफ्रिजरेशन, सिंगापोर द्वारा विश्व के 100 उद्योगपतियों के साथ सम्मानित किये गए। सन 2009 में अनिल जैन को 'टाइम्स यंग एन्टरप्रेन्योर अवॉर्डÓ मिला और सन 2018 में उन्हें राजस्थान युवा रत्न सम्मान से विभूषित किया गया। वे औद्योगित विकास की संस्था एसोचैम की एपेक्स बॉड़ी में सन 201६ से 20२० तक कमेटी मेंबर रहे और सीआईआई, में भी वे सक्रिय हैं। देश में रेफ्रिजरेशन से संबद्ध कई संस्थाओं में भी वे अग्रणी पदों पर काम कर रहे हैं, साथ ही राजस्थान सोलार असोसिएशन के संस्थापक सदस्य व इंडो जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स के भी सदस्य हैं। अभिनव और नए विचार देनेवाली पुस्तकें पढऩे के शोकीन अनिल जैन दुनिया भर में जैन समाज की सबसे बड़ी संस्था जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जीतो) के 2016 से 2018 तक सेक्रेटरी रहे और जीतो एपेक्स में वे 2020 तक के लिए जनरल सेक्रेटरी हैं। इसके साथ ही जीतो की सहयोगी संस्थाओं जैन एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग फाउंडेशन एवं श्रमण आरोग्यम में भी वे संरक्षक सदस्य हैं। जिन जगहों के बारे में लोग कम जानते हैं, वहां घूमने के शौकीन अनिल जैन देश भर के 120 गांवों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करनेवाले संगठन उगता फाउंडेशन के संस्थापक हैं। युवा पीढ़ी के अपने साथियों के लिए उनका कहना है कि नई पीढ़ी बहुत अलग तरीके से सोचने लगी है। लेकिन जो भी काम करें, वह जीवन मूल्यों के साथ करेंगे, तो ही सफल हो सकते हैं। नई पीढ़ी को परंपरागत धारणा से हटकर कुछ करना होगा। हमारे पिता या दादाजी जो काम जिस तरीके से पहले से करते रहे हैं, हम भी वही काम उसी तरीके से कर लें, यह धारणा छोडक़र कुछ नया करनेवाले ही तेजी से आगे बढ़ते हैं।


वे 42 साल के हैं, युवा हैं और उर्जावान हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि वे अपनी उम्र के युवा साथियों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। 13 सितंबर 1976 को जन्मे अनिल जैन हमेशा से ही खुद को एक तेजजर्रार उद्यमी के रूप में देखने के लिए आतुर थे। और उसी आतुरता ने उन्हें आज बहुत ही कम समय में इस मुकाम पर पहुंचाया। परिवार के बारे में जाने, तो पिता और चाचा 60 के दशक के अंत में चेन्नई आ गए थे और ऑटोमोबाइल फाइनेंस बिजनेस के साथ शुरुआत की और वर्षों से धीरे-धीरे स्टेनलेस स्टील उद्योग से जुडक़र बहुत आगे चले गए। उन्होंने मद्रास मेटल एंड रेफ्रीजेशन के नाम से 1976 में एक कंपनी की शुरुआत की और सन 1980 में बॉम्बे मेटल्स के नाम से दूसरी बड़ी शुरूआत करके अपने व्यापार को काफी विस्तार दिया। लेकिन अनिल जैन ने देखा कि 90 के दशक के आखिर में उनके पिता और चाचा व्यावसायिक तौर पर अलग हो रहे हैं, तो उन्होंने मन बना लिया कि पिताजी को पूरी तरह से व्यापार में सहायता की जाए। दो में से एक कंपनी बॉम्बे मेटल उस बंटवारे में अनिल जैन के पिताजी के हिस्से में आई और वे अपने स्कूल के दिनों से ही पिता के व्यवसाय में सक्रिय रुचि लेने लगे। अनिल जैन हर सप्ताहांत यानी शनिवार को व्यापार से संबद्ध यात्रा पर निकल जाते थे और देखते थे कि उनके पिता का व्यापार कैसे संचालित होता है। उन्होंने चेन्नई के डीएवी हायर सेकेंडरी स्कूल, से अपनी स्कूली पढ़ाई की और लोयोला कॉलेज से बीकॉम किया।


अनिल जैन ने अपने शुरूआती काल में ही जीवन में एक बात बहुत गहरे दिमाग में स्थापित कर ली थी कि अपने सभी कार्यों के लिए हम स्वयं ही उत्तरदायी होते हैं। सो, अनिल जैन जीवन के सारे काम पूरी जिम्मेदारी से करते रहे। उन्होंने धीरे-धीरे व्यापार सीखना शुरू कर दिया और सन 2000 के दशक के अंत तक अपने पिता की मदद करना शुरू कर दिया। यह वह समय था, जब उन्हें अपने पिता के पारंपरिक व्यापार की बहुत सारी जानकारियां सीखनी थी। लेकिन जिंदगी तो जिंदगी है, सफलता के लिए वह हर व्यक्ति से कुछ अलग और कुछ खास किस्म की अपेक्षा रखती है। सो, अनिल जैन ने भी देखा कि जिंदगी तो उनसे कुछ विशिष्ट अपेक्षाएं पाल रही हैं, तो वे पिता के व्यवसाय में उनका साथ देते देते शुरूआती समय में ही व्यापार के हर विषय में निर्णय लेने के मामले में स्वतंत्र हो गए। और जिंदगी में कुछ करने और कुछ बनने की कोशिश में उन्होंने शेयर बाजार में कारोबार किया और कॉलेज में पढ़ाई के दौरान जीन्स और टी-शर्ट का धंधा भी किया। वह अपने जीवन स्तर को उंचा उठाने के लिए अपना पैसा कमाना चाहते थे। इस बारे में कुछ करने और आगे बढऩे की आकांक्षा में उन्होंने अपने पिताजी का पारंपरिक पारिवारिक व्यवसाय छोड़ दिया और अपने बूते पर अपना आसमान रचने के लिए कुछ नया काम शुरू करने के लिए निकल पड़े।

सन, 2002 में अनिल जैन ने रेफिक्स रेफ्रिजरेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रेफ्रिजरेंट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया, और कंपनी को लेकर शेयर बाजार में उतरे जो उस जमाने में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध हुई। तमिलनाड़ु के कांचीपुरम जिले के थिरुपुरुर स्थित महाबलीपुरम रोड पर उत्पादन इकाई की स्थापना की, जो बहुत जल्द ही मार्केट लीडर बन गई थी। सन 2005-06 तक अनिल जैन की रेफिक्स कंपनी ने 44त्न बाजार पर कब्जा कर लिया और एक तरह से  रेफ्रिजरेंट गैस के क्षेत्र में बाजार पर आधिपत्य जमा लिया। अनिल जैन की जिंदगी में यह वो वक्त था, जब उनके आसपास के लोग ही उनको सबसे व्यस्त व्यक्ति के रूप में जानने लगे थे। इसके बाद अनिल जैन ने पीछे मुडक़र नहीं देखा। वे लगातार सफल होते रहे। अनिल जैन मानते हैं कि हम जो भी काम करते हैं, उसके बारे में पूर्ण रूप से व्यावहारिक और तथ्यात्मक बनें। और एक बार जब हम अपने में कुछ करने के गुण देख लेते हैं, तो उसे आगे बढ़ाना चाहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह काम क्या है। अपनी इसी सोच के कारण ही अनिल जैन ने, अपने पिता के परंपरागत व्यापार से अलग अपनी दुनिया का निर्माण किया। सन 2008 में  उन्होंने एक सौर उर्जा से संबद्ध कंपनी रेफेक्स एनर्जी शुरू की, इस कंपनी का उद्धेश्य भारत को उर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है


हाल ही में रेफेक्स ने सन एडिसनस (ए ग्लोबल सोलर कंपनी) सोलर वाटर पम्प्स एंड रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन बिजऩेस को लेने के पीछे इसे बढ़ावा देना बड़े कारोबार के रूप में विकसित करना है। अनिल जैन मानते हैं कि विद्युतीकृत गांव का मतलब ये नही है कि हर घर मे बिजली पहुच चुकी है। अभी भी भारत के 40 लाख घरों में बिजली नही पहुची है। और इन घरों में बिजली जल्द से जल्द पहुंचाने के लिये अनिल जैन बहुत सारी राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही इनकी कंपनी ने एक प्लांट भी बनाया है, जिसमे सोलर वाटर पंप को ग्रिड से जोडक़र किसानों के लिए तैयार किया है जिसमे एक मीटर भी रहेगा और किसान इसके माध्यम से अतिरिक्त कमाई भी कर सकेंगे। ये पूरा काम बिना किसी ग्रांट या सब्सिडी के हो रहा है। ये एक ऐसा राष्ट्रीय प्रोजेक्ट है जिससे लाखों किसानों को फायदा होगा। इस प्रोजेक्ट के द्वारा कंपनियों से 30 प्रतिशत बिजली की बचत होगी जोकि किसानों के काम आएगी।


तकनीक में गहन रुचि के कारण अनिल जैन ने 2015 में एजे वेंचर्स और निवेश शुरू करने का मौका हाथ से जाने नहीं दिया। यह कंपनी भारत में स्टार्ट्स अप को पूंजीगत सहायता उपलब्ध कराती है। अनिल मानते हैं कि जिंदगी कोई सौ मीटर की रेस नहीं है, वह तो बहुत लंबी होती है। जितना लंबा चलोगे, चुनौतियां उतनी ही बड़ी होती जाएंगी। लेकिन चुनौतियां से किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल चुनौतियां हमें नए रास्ते दिखाती है। इन्हीं चुनोतियों से जूझकर अनिल जैन ने अपनी जिंदगी को इस खास मुकाम पर पहुंचाया है। अपनी सफलता की कहानी बताते हुए अनिल जैन जिंदगी के इस मुकाम का सारा श्रेय अपनी टीम को देते हैं। देखा जाए, तो वास्तव में अनिल जैन की सबसे बड़ी ताकत उनकी टीम ही है। उन्होंने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करने की कोशिश की है। उनका कहना है कि कामं करनेवाले को स्वतंत्र रूप से उस कंफर्ट जोन में तनाव महसूस किए बिना काम करने दो। ताकि वे नए विचारों के साथ आगे आएं और बिना किसी दबाव के वे सही निर्णय ले सकें। अपनी कंपनी में अनिल जैन ने सभी के लिए स्वतंत्र रूप से विकसित होने का माहौल बनाया, और कंपनी के प्रति अपनी वफादारी को मजबूत किया। और वे हर काम में हर तरह से हमेसा अपने साथियों के साथ खड़े रहते हैं।


देश और दुनिया में युवा पीढ़ी के लिए मिसाल के रूप में देखे जानेवाले अनिल जैन हमेशा से सकारात्मक सोच के धनी रहे। वे मानते हैं कि सकारात्मक सोच ही सफलता के रास्ते आसान कपती है। वे बहुत तेजी से फैसले लेते है। अनिल जैन मानते हैं कि युवा पीढ़ी में बहुत उर्जा है और इस पीढ़ी को समय की कीमत समझते हुए सही समय पर सही फैसले लेकर इसका सदुपयोग करना चाहिए। क्योंकि समय यदि हाथ से निकल गया, तो फिर हम कुछ नहीं कर सकते। शताब्दी गौरव के बारे में उनका कहना है कि इस तरह से समाचार पत्र समाज के लिए स्तंभ का काम करते हैं। समाज का पूरा ताना बाना सकारात्मक सोचवाले लोगों पर ही टिका है और शताब्दी गौरव समाज के अच्छे काम करनेवालों को प्रोत्साहन देता रहा है।































4 views0 comments

Comments


bottom of page