गोविंद व्यास – सेवा के बल पर समाज में अनुकरणीय मिसाल
- Anup Bhandari
- Apr 18
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गोविंद व्यास
कम उम्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाकर कामयाब व्यक्ति के रूप में विख्यात गोविंद व्यास गोड़वाड़ का वह नाम है, जिसे बेहद सम्मान प्राप्त है। स्वर्गीय घीसूलालजी बदामिया और प्रदीपजी राठोड़ को अपने प्रेरणास्रोत के रूप में देखनेवाले व्यास का सामाजिक जीवन काफी विस्तृत है। सरल स्वभावी और सेवाभावी गोविंद व्यास का जीवन गोड़वाड़ के लिए अनुकरणीय मिसाल है।
दुनिया में केवल दो तरह के लोग ही होते हैं, एक तो वे, जिनको जिंदगी जिस तरफ ले जाती है, उसी के साथ वे चल पड़ते हैं। और दूसरे वो, जो जिंदगी की ताकत को समझकर उसे अपनी मुट्ठी में करके आसमान नापने निकल पड़ते हैं। सादड़ी के गोविंद व्यास इसी दूसरी किस्म के व्यक्ति हैं, जो जिंदगी की हकीकतों को समझते हुए जिंदगी को अपने साथ लेकर बचपन में ही निकल पड़े थे। वरना, तो अकसर लोगों के साथ ऐसा होता है कि जिंदगी लोगों को उस रास्ते पर लेकर निकल पड़ती है, जिस रास्ते पर चलने के लिए वे बने ही नहीं होते। थोड़ा थोड़ा ऐसा ही हो रहा था गोविंद व्यास के साथ भी, लेकिन उन्होंने अपने रास्तों पर चलने के लिए पूरी हिम्मत से जिंदगी के अपने कब्जे में जकड़े रखा, तो जिंदगी भी लौटकर उनके रास्ते पर चल निकल पड़ी। गोड़वाड़ की गौरवशाली नगरी सादड़ी के सितारे गोविंद व्यास की जिंदगी में बहुत सारी चीजें इसीलिए कुछ अलग है।
सदैव सकारात्मक सोच, परोपकार की भावना व कर्म को सर्वोपरी मानकर दार्शनिक विचारों के साथ उर्जावान अभिव्यक्ति का पर्याय माने जाने वाले गोविन्द प्रसाद व्यास पाली जिले के सादडी नगर के एक प्रतिष्ठित समाजसेवी हैं। हर धर्म, जाति, सम्प्रदाय और समुदाय के साथ सदैव भाईचारे, समभाव और सहिष्णुता की भावना के साथ जुड़े रहकर समय समय पर अपनी सेवाओं से समाज को लाभान्वित करते हुए परोपकार के कार्यो से जुड़े रहना ही उनके जीवन का उद्देश्य बनाया है। गोविन्द प्रसाद व्यास का जन्म 21 अक्टूबर 1972 को हुआ। पिता जगदीशप्रसादजी व्यास और माता रामीदेवी व्यास को तो बचपन में ही अपने पु़त्र में साक्षात गोविंद के दर्शन होने लगे। उन्होंने इसीलिए उनका नाम गोविंद रख दिया। गोविंद भी शुरू से ही अपनी विलक्षण प्रतिभा के द्वारा समाज को बेहतर दिशा देने का कार्य निरंतर करते रहे।

बचपन से ही पढाई में सदैव सबसे आगे रहने वाले गोविंद व्यास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेठ फुटरमल हिम्मतमल बाफना राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सादडी और उच्च माध्यमिक शिक्षा डीएमबी विद्यालय सादडी और फिर उच्च शिक्षा जोधपुर में लाचू मेमोरियल कोलेज से प्राप्त की। प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गोविंद अपने कार्यो से हमेशा ही अपने कुल और परिवार का नाम रोशन करते रहे हैं। और बाद में जब जीवन में धर्मपत्नी के रूप में रेणु व्यास का आगमन हुआ तो मानो जीवन को एक और मजबूत आधार मिल गया। उन्होंने हर कदम पर अपने पति का पूरा सहयोग दिया, कंधे से कंधा मिलाकर उनके हर स्वप्न को साकार करने में सहयोग किया और सही अर्थो में अर्धांगिनी बनकर उनके जीवन को नई उचाईयां प्रदान की। गोविंद व्यास के दो बेटे हैं - अश्विन व्यास और रोहित व्यास, जो फिलहाल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। संस्कारों के धनी अश्विन और रोहित भी अपने पिता के समान ही बनना चाहते हैं।

गोविंद व्यास ग्रेजुएशन तक की शिक्षा प्राप्ति की शुरूआत में केवल 18 साल की छोटी आयु में ही अपने पिताजी के व्यवसाय से जुड गए और बस आपरेटिंग का कार्य आरंभ कर दिया। दरअसल, बचपन से ही अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग गोविंद व्यास पिताजी के स्वास्थ्य कारणों की वजह से स्कूली पढ़ाई के दौर में ही उनके साथ जुड़ गए ते। व्यवसायिक कामकाज में पिता के सहयोगी बनकर स्नातकी के पश्चात वे पूर्णकालिक व्यवसायी बन गए। क्योंकि उन्हें पता था कि पिताजी ने बहुत ही मुश्किलों का सामना करके बस ऑपरेटर व्यवसाय खड़ा किया है। इसलिए पिताजी के सपनों को अपने सपने और उनके संघर्ष को अपनी जिंदगी की जंग मानकर गोविंद व्यास अपने हर कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाने के रास्ते पर निकल पडे। फिर क्या दिन और क्या रात, कुछ भी नहीं देखा और हर काम को जिंदगी की असली पूंजी मानकर वे लगे रहे। वे कहते भी हैं कि पिताजी ने बडे ही संघर्ष के साथ 60 साल पहले सन 1960 के आसपास केवल एक बस के साथ व्यास ट्रेवल्स कंपनी की नींव रखी थी। जिस जमाने में लोगों के पास साइकिल होना भी बहुत बड़ी बात मानी जाती थी, उस दौर में बस खरीदकर उसे लोगों के लिए चलाना तो वास्तव में बहुत बड़ा काम था। लेकिन वो कहते हैं न, बड़ा काम करने के लिए बड़ा हौसला भी होना चाहिए, तो गोविंद व्यास के पिताजी बड़े ही जिंदादिल और बड़े हौसलेवाले व्यक्ति थे। आज वही हौसला और जिंदादिली पूरे गोड़वाड़ में व्यास परिवार की गौरवगाथा की कहानी भी बन गई है। यह गोविन्द प्रसाद व्यास के परिश्रम का परिणाम है कि सम्पूर्ण गोडवाड क्षैत्र में व्यावसायिक आयाम की बुलंदियों के साथ यातायात सेवा में व्यास ब्रांड के रूप में पहचान बनायी । वर्तमान में सादडी- पिंडवाडा और सादडी-पाली-जोधपुर रुट पर व्यास ट्रैवल्स की बस सेवाएं चल रही हैं। बस ऑपरेटिंग की तरह ही सादडी नगर में सर्वप्रथम आवासीय कोलोनी बनानेवालों में भी व्यास का ही नाम है। भादरास रोड पर 124 भूखंड की पट्टाशुदा आवासीय कोलोनी बना कर उन्होंने एक नई उपलब्धि हासिल की।
बाबूजी के नाम से लोगों में पहचाने जाने वाले गोविंद प्रसाद व्यास का जीवदया के क्षेत्र में भी काफी सम्मानजनक नाम है। गोडवाड क्षेत्र में उन्होंने गौसेवा व मूक प्राणी सेवा से अपनी अलग पहचान कायम की है। सभी को अपने कर्मों द्वारा प्रेरणा देने वाले गोविंद व्यास के लिए सेठ स्वर्गीय श्री घीसूलालजी बदामिया प्रेरणापुंज हैं, और प्रदीपजी राठौड उनके आदर्श हैं। उनका मानना है कि इन दोनों का उनके जीवन में बहुत ही योगदान है और बदामिया परिवार के संघर्ष ही गोंविंद व्यास को आगे बढने की उर्जा देते हैं। गोविंद व्यास विनम्रतापूर्वक कहते हैं कि वे समाज के लिए जो कुछ कर रहे हैं, वह तो बहुत कम है। जबकि समाज में उनसे भी अधिक महत्वपूर्ण कई सारे लोग हैं, जिनके सफल प्रयासों से आज समाज को एक बेहतर दिशा मिली है। गोविंद व्यास की यही नजरिया उन्हें और अधिक विनम्र बनाता है।

समाज और गांव के हित को सबसे उपर रखने वाले गोविंद व्यास को 2016 में उनकी सराहनीय सेवाओं हेतु गणतंत्र दिवस पर राज्य सरकार द्वारा भामाशाह सम्मान से नवाजा गया। वो नगर पालिका सादडी के सहवृत्त सदस्य भी हैं और नगर कांग्रेस कमेटी सादडी के अध्यक्ष भी रहे हैं। सनातन धर्म ट्रस्ट सादडी के अध्यक्ष और गोडवाड बस ऑनर्स ऐसोसिएशन के कोषाध्यक्ष का कार्य बखूबी निभा रहे हैं। उनके द्वारा किए गए बेहतरीन कार्यों के लिए उन्हें जिला स्तर पर साल 2017 में समाज सेवी सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। वे हमेशा से ही समाज से जुड़े रहे हैं, सो जानते हैं कि समाज की सेवा में समाचार पत्रों का क्या महत्व है। गोविंद व्यास कहते हैं कि समाज में महत्वपूर्ण व्यक्तियों को कार्यों को महत्व देने का काम करके शताब्दी गौरव समस्त समाज का महत्व बढ़ाने का काम कर रहा है। उनका कहना है कि शताब्दी गौरव दो दशक से भी ज्यादा समय से समाज की एक खास तरीके से सेवा कर रहा है, जो वास्तव में सराहनीय है। अंत में गोविंद व्यास की जिंदगी के बारे में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि उन्होंने कुछ कर दिखाया है ऐसा, कि लोग भी बनना चाहते है उनके जैसा। गोड़वाड़ की खड़ी बोली में लोग उनके बारे में कहते हैं - आभे चमके बिजळी, चंदो करे परकास, शहर सादडी गोविन्द थांरी, सेवा करे उजास।
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